महान फ्रांसीसी दार्शनिक और गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल की पुस्तक पौंसे (Pensees) के एक अनुच्छेद का अनुवाद राजाओं को […]
Author: Pratyush Chandra
1 A polemic for revolutionaries is a militant dialogic practice to reveal the contradictions of a position, hammering […]
भीड़ है भय है भयावह भागते भैसों की रौंद
एक ने शुरुआत की और दूसरे नेनतीज़े तक पहुँचाया एक ही के अनेक रूप हैंचढ़ता और उतरता ताप […]
अपने सुनने पर विश्वास न करोअपने देखने पर विश्वास न करोतुम्हें अंधकार दिखता हैमगर शायद वह रोशनी है […]
भगत सिंह तुम इनके लिए सरदार होभगत हो और सिंह भी मगरभगत सिंह नहीं इन्हें क्या लेना तुमसे […]
अब सब कुछ ऐतिहासिक हैक्योंकि मैं ही इतिहास हूँअब तक समय प्यासा थाऔर मैं उसकी प्यास हूँ झाँक […]
गोरख पाण्डेय की एक बेहतरीन छोटी कविता “तुम्हे डर है” में कुछ लाइनें जोड़ने की गुस्ताखी कर रहा […]
पंख पंछियों के फैले क्यारियों में ऐसेक्या किसी साँप या और किसीजानवर की करतूत है हवा की खामोशी […]
साथी त्रेपन सिंह चौहान के लिए* तुम पहाड़ होकठोर होमगर स्रोतों की शीतलतातुम्हारी धमनियों में बहतीतुम्हारी हजार आंखों […]