1 “भेड़िया आया, भेड़िया आया” वाली कहानी याद कीजिए। वह एक बच्चे की कहानी है जो ‘भेड़िया आया, […]
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अंधकार समय में क्रांतिकारी परिवर्तनगामी व्यवहार के स्वरूपों पर जर्मन कवि और नाटककार बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की समझ आज […]
सर्वहाराकरण की तेज होती प्रक्रिया के कारण उभरतीं दमित उत्कंठाओं को फासीवाद इस रूप में अभिव्यक्ति देकर संघटित […]
सन्नाटा कहाँ था बस सन्नाटे की आहट थी और सन्नाटा हो गया
यह धुआँ है कभी आग लगी थी जंगलों मेंपेड़ पशु कई ज़िंदगियाँ भस्म हुईं थीं सरपट दौड़ते जानवरों मेंएक […]
आज के इंकलाबी पके आम चुनते रात के तूफ़ानी संघर्ष में थक गए स्वतःस्फूर्त सब्ज़ आम की आलोचना […]
“नहीं, ऐसे काम नहीं चलेगा – ज़िन्दगी को अखबार बनाकर पढ़ते रहना! कोई-न-कोई तो बता ही देगा वह […]
कोई खबर नहीं है वतन से कि हमको आदत पड़ी है कि हम सोते रहें और खबर मिल […]
यानिस रित्सोस जिस तरह चीज़े धीरे-धीरे खाली हो गयी हैं, उसके पास करने को कुछ नहीं है। वह […]
वे हैं तो सब कुछ मुमकिन है क्योंकि इन सब के बाद भी वे हैं और तुम सोचते […]