सुर्ख गुलाब भी अब तो गायब हुआ
कहाँ है गिरा वह दिखता नहीं
गरीबों को उसने जीना सिखाया
अमीरों ने उसको तभी तो मिटाया
(1929)
वैकल्पिक अनुवाद:
सुर्ख रोज़ा भी अब तो गायब हुई
कहाँ है गिरी वह दिखती नहीं
गरीबों को उसने जीना सिखाया
अमीरों ने उसको तभी तो मिटाया