अंधकार समय में क्रांतिकारी परिवर्तनगामी व्यवहार के स्वरूपों पर जर्मन कवि और नाटककार बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की समझ आज […]
आओ देखो तो दर्दभरी दुनिया के अस्ल फूलों को पुराने जापानी कवि बाशो की लघु कविता
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9 अगस्त 2020 चलिए अच्छा है, देर आए दुरुस्त आए! कम से कम संगठनों ने अपना…
सर्वहाराकरण की तेज होती प्रक्रिया के कारण उभरतीं दमित उत्कंठाओं को फासीवाद इस रूप में अभिव्यक्ति देकर संघटित […]
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शिक्षा नीति न कह कर शैक्षणिक औद्योगिक नीति कहना उचित रहेगा। 1984-85 […]
17 जून के विद्रोह के बादलेखक संघ के सचिव नेस्टालिनाले में पर्चे बंटवाएयह बताते हुए कि जनता नेअपने […]
ये दीवार आईना है तुम्हें कुछ भी नहीं दिखता क्योंकि तुम कुछ भी नहीं हो तुम्हें दीवार दिखती […]
सन्नाटा कहाँ था बस सन्नाटे की आहट थी और सन्नाटा हो गया
यह धुआँ है कभी आग लगी थी जंगलों मेंपेड़ पशु कई ज़िंदगियाँ भस्म हुईं थीं सरपट दौड़ते जानवरों मेंएक […]
In 1968, when Europe was witnessing student revolts, Italian Marxist filmmaker, novelist and poet Pier Paolo Pasolini wrote […]