आज के इंकलाबी पके आम चुनते रात के तूफ़ानी संघर्ष में थक गए स्वतःस्फूर्त सब्ज़ आम की आलोचना […]
“… never torment a creature for sport, for it might be loaded.” – Ernst Bloch At times, states […]
Pritha Chandra and Pratyush ChandraThe Bullet “…that consumption and the other pulmonary diseases of the workers are conditions […]
कॉन्सटेंटाइन पेट्रो कवाफी आने वाले दिन हमारे आगे खड़े हैं जैसे छोटी-छोटी जलती मोमबत्तियों की कतार – सुनहरी, […]
बहुत देर बहुत देर बहुत देर बाद रोशनी पहुँची मगर सितारा न रहा दूर दूर बहुत दूर पहुंच […]
स्वामी ने कहा ये तो जंगल हो गया है इसमें मेरा महल खो गया है अब इन झाड़ों […]
दशकों तक धज्जियाँ उड़ाई टुकड़े-टुकड़े कर खुद खाई औरों को खिलाई अब आत्मा भूत बन गई है तो […]
“नहीं, ऐसे काम नहीं चलेगा – ज़िन्दगी को अखबार बनाकर पढ़ते रहना! कोई-न-कोई तो बता ही देगा वह […]
कैसे फिर से एक नई लय बनाऊँगा जो बनी थी और रखी थी सँजो कर मैंने उस पर […]
कोई खबर नहीं है वतन से कि हमको आदत पड़ी है कि हम सोते रहें और खबर मिल […]