भगत सिंह का दर्शन


तुम नास्तिक थे क्योंकि तुम्हें विश्वास नहीं था
किसी सत्ता पर और उस पर तो बिलकुल ही नहीं
जो महज़ विश्वास है सत्ता के परम होने का

भक्ति तुम्हारी शक्ति नहीं थी न तुम आसक्त थे
राष्ट्र पर न किसी व्यक्ति या महज़ आदर्श पर
टिका था तुम्हारा सपना नित्यता के भ्रम को

उड़ा देना काल को अकाल समझने वालों को
जगा देना बता देना कि समय वह धार है
जो केवल बहती-बहाती नहीं काटती भी है

२८/०९/२०१९

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