भगत सिंह का मतलब


भगत सिंह तुम इनके लिए सरदार हो
भगत हो और सिंह भी मगर
भगत सिंह नहीं इन्हें क्या लेना तुमसे

तुम्हें भी प्रतीक बना लटका देते हैं
दीवारों पर कहीं चुनवा कर लिखवा देते हैं
फलां तारीख जन्म और निधन

तुम उनके लिए बस सरदार हो
जिन्हें इंसान को भीड़ बना
भेड़ की तरह हांकना है

तुम भगत हो उनके लिए जिन्हें
बुतों को दूध पिला तत्पर रहना है
सरदार के इशारे पर मारना और मरना है

तुम सिंह हो जिसकी मूर्ति को
सिंहासन पर तराश दिया है ताकि
तुम्हारा यश मुकुट बन जाए बैठने वाले पर

मगर तुम सिंह हो सत्ता के श्वान नहीं
जंजीर कब तक बांधेगी तुम्हें
इसका इन्हें बिल्कुल भी भान नहीं

तुम्हारी दुनिया इस दीवार के पार है
तुम्हारी आत्मा के आगे हरेक सत्ता तार तार है
इन्हें क्या पता तुम्हारी दुश्मन यही दीवार है

प्रत्यूष चंद्र

28/09/2020

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भगत सिंह का दर्शन


तुम नास्तिक थे क्योंकि तुम्हें विश्वास नहीं था
किसी सत्ता पर और उस पर तो बिलकुल ही नहीं
जो महज़ विश्वास है सत्ता के परम होने का

भक्ति तुम्हारी शक्ति नहीं थी न तुम आसक्त थे
राष्ट्र पर न किसी व्यक्ति या महज़ आदर्श पर
टिका था तुम्हारा सपना नित्यता के भ्रम को

उड़ा देना काल को अकाल समझने वालों को
जगा देना बता देना कि समय वह धार है
जो केवल बहती-बहाती नहीं काटती भी है

२८/०९/२०१९