मैंने खड़ी पहाड़ों और ऊंची चोटियों को लांघा है, मुझे क्या इल्म होगा तराइयों की मुश्किलातों का? पहाड़ों […]
Category Archive: Poetry
हमारा मरना मारना महज तथ्य है आंकड़े हैं मशीन की परीक्षा के लिए नई तकनीक है चेहरे पहचानने […]
समय की धूल उड़ती बैठती इतिहास पर पहाड़ों की तरह ज़िन्दगी और ज़िन्दगी खोती रही बस ज़िन्दगी कल […]
क्रांति क्रांति हे क्रांति देवि भक्तों के स्वर यों गूँज रहे तुम कहाँ गई हो इन्हें छोड़ ये […]
हम निकल पड़े थे वहाँ उम्मीद में कि दुनिया बदले खड़े हैं आज भी उस छोर पर कि […]
अकेलापन – कैद झींगुर लटकता दीवार से जापानी कवि बाशो
अंधकार समय में क्रांतिकारी परिवर्तनगामी व्यवहार के स्वरूपों पर जर्मन कवि और नाटककार बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की समझ आज […]
आओ देखो तो दर्दभरी दुनिया के अस्ल फूलों को पुराने जापानी कवि बाशो की लघु कविता
17 जून के विद्रोह के बादलेखक संघ के सचिव नेस्टालिनाले में पर्चे बंटवाएयह बताते हुए कि जनता नेअपने […]
ये दीवार आईना है तुम्हें कुछ भी नहीं दिखता क्योंकि तुम कुछ भी नहीं हो तुम्हें दीवार दिखती […]