एक ही रंग में रंग गया सब कुछ गोरा हो या काला राजा जो मतवाला है सो सारा […]
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मैंने खड़ी पहाड़ों और ऊंची चोटियों को लांघा है, मुझे क्या इल्म होगा तराइयों की मुश्किलातों का? पहाड़ों […]
हमारा मरना मारना महज तथ्य है आंकड़े हैं मशीन की परीक्षा के लिए नई तकनीक है चेहरे पहचानने […]
समय की धूल उड़ती बैठती इतिहास पर पहाड़ों की तरह ज़िन्दगी और ज़िन्दगी खोती रही बस ज़िन्दगी कल […]
क्रांति क्रांति हे क्रांति देवि भक्तों के स्वर यों गूँज रहे तुम कहाँ गई हो इन्हें छोड़ ये […]
1 “भेड़िया आया, भेड़िया आया” वाली कहानी याद कीजिए। वह एक बच्चे की कहानी है जो ‘भेड़िया आया, […]
हम निकल पड़े थे वहाँ उम्मीद में कि दुनिया बदले खड़े हैं आज भी उस छोर पर कि […]
अकेलापन – कैद झींगुर लटकता दीवार से जापानी कवि बाशो
अंधकार समय में क्रांतिकारी परिवर्तनगामी व्यवहार के स्वरूपों पर जर्मन कवि और नाटककार बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की समझ आज […]
आओ देखो तो दर्दभरी दुनिया के अस्ल फूलों को पुराने जापानी कवि बाशो की लघु कविता