दशकों तक धज्जियाँ उड़ाई टुकड़े-टुकड़े कर खुद खाई औरों को खिलाई अब आत्मा भूत बन गई है तो […]
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“नहीं, ऐसे काम नहीं चलेगा – ज़िन्दगी को अखबार बनाकर पढ़ते रहना! कोई-न-कोई तो बता ही देगा वह […]
कैसे फिर से एक नई लय बनाऊँगा जो बनी थी और रखी थी सँजो कर मैंने उस पर […]
कोई खबर नहीं है वतन से कि हमको आदत पड़ी है कि हम सोते रहें और खबर मिल […]
समय पर बांध सत्ता है वो भ्रम है नहीं क्योंकि वो सत्य नहीं है ऐसा नहीं है वह […]
साथ रहना, डूबना मत मछलियों जैसे कहीं नींद में तुम। बहते रहो रात भर समुन्दर के साथ, मत […]
वह कहीं का नहीं है क्योंकि वह सब जगह है वह कहीं का नहीं है इसीलिए वह सब […]
यानिस रित्सोस जिस तरह चीज़े धीरे-धीरे खाली हो गयी हैं, उसके पास करने को कुछ नहीं है। वह […]
वे हैं तो सब कुछ मुमकिन है क्योंकि इन सब के बाद भी वे हैं और तुम सोचते […]
गिरा है खून उस तरफ इस तरफ रंगीनी है घरों में मातम है दिलों में संगीनी है वहाँ […]