समय की धूल
उड़ती बैठती
इतिहास पर
पहाड़ों की तरह
ज़िन्दगी
और ज़िन्दगी
खोती रही
बस ज़िन्दगी
कल क्या हुआ था
नींद में था
चल बसा
अब खोदते हैं
कब्र उसकी
मिल रही है
कब्र किसकी
समय की धूल
उड़ती बैठती
इतिहास पर
पहाड़ों की तरह
ज़िन्दगी
और ज़िन्दगी
खोती रही
बस ज़िन्दगी
कल क्या हुआ था
नींद में था
चल बसा
अब खोदते हैं
कब्र उसकी
मिल रही है
कब्र किसकी