17 जून के विद्रोह के बाद
लेखक संघ के सचिव ने
स्टालिनाले में पर्चे बंटवाए
यह बताते हुए कि जनता ने
अपने प्रति सरकार का भरोसा खो दिया है
और अब केवल दुगनी कोशिशों से ही वे
उसको फिर से जीत सकती है। ऐसी स्थिति में
क्या सरकार के लिए ज्यादा आसान नहीं होगा
कि वे जनता को ही भंग कर दे
और दूसरी चुन ले?
नोट: जर्मनी के कम्युनिस्ट नाटककार, कवि और दार्शनिक ब्रेष्ट ने यह कविता पूर्वी जर्मनी के स्टालिनाले में हुए 17 जून 1953 के मजदूर विद्रोह के बाद लिखी थी।