कैसे फिर से एक नई लय बनाऊँगा
जो बनी थी
और रखी थी सँजो कर मैंने
उस पर धूल और समय के बोझ
लदते चले गए
खबर ही नहीं थी
और तार टूट गए
फिर से तार तो जुड़ जाएँगे
मगर लय वह नहीं होगी
मगर क्या लय ही नहीं होगी
ऐसा तो नहीं
कैसे फिर से एक नई लय बनाऊँगा
जो बनी थी
और रखी थी सँजो कर मैंने
उस पर धूल और समय के बोझ
लदते चले गए
खबर ही नहीं थी
और तार टूट गए
फिर से तार तो जुड़ जाएँगे
मगर लय वह नहीं होगी
मगर क्या लय ही नहीं होगी
ऐसा तो नहीं