यानिस रित्सोस
जिस तरह चीज़े धीरे-धीरे खाली हो गयी हैं,
उसके पास करने को कुछ नहीं है। वह अकेला बैठता है,
अपने हाथों को देखता, नाख़ून – अजनबी लगते हैं –
बारबार अपनी ठुड्डी छूता है, कोई और ठुड्डी
लगती है, बिलकुल ही अजनबी,
इतनी नितांत और स्वभावतः अजनबी कि उसे खुद
इसके नएपन में मजा आने लगा है।